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17:54, 29 जून 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
नया साल सुंदर सपना,
हम तुम सबका है अपना|
हममें बची बुराई जो,
चलो कहीं आयें दफना|
हमें शपथ अब लेना है,
काम सदा अच्छे करना|
अच्छाई के साथ रहें,
सदा बुराई से लड़ना||
बहुत कठिन है डगर अभी,
व्यर्थ काम में क्यों पड़ना|
आयें राह में रोड़े तो,
उनसे निर्भय हो लड़ना|
पथ पर आगे बढ़ना है,
नहीं किसी से अब डरना|
पोखर तो ठहरा पानी,
बनकर नदी सदा बहना|</poem>