Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
जितनी ज्यादा बूढ़ी दादी,
दादा उससे ज्यादा|
दादी कहती ‘मैं’ शहजादी,
औ दादा शह्जादा|

दादी का यह गणित नातियों,
पोतों को ना भाता|
बूढ़े लोगों को क्यों माने,
शह‌जादी ,शहजादा|

दादी बोली,अरे बुढ़ापा,
नहीं उमर से आता|
जिनका तन मन निर्मल होता,
वही युवा कहलाता|
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits