जितनी ज्यादा बूढ़ी दादी,
दादा उससे ज्यादा|
दादी कहती ‘मैं’ शहजादी,
औ दादा शह्जादा|
दादी का यह गणित नातियों,
पोतों को ना भाता|
बूढ़े लोगों को क्यों माने,
शहजादी ,शहजादा|
दादी बोली,अरे बुढ़ापा,
नहीं उमर से आता|
जिनका तन मन निर्मल होता,
वही युवा कहलाता|