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रसगुल्ले कुछ बनवायें|
फिर बैठक में हुआ फैसला,
कच्चा माल कहां पाएं |
खोवा लल्लू की दुकान से,
थोड़ी सी मेंदा औ काजू,
खुशबू वाले इत्र जरा,|
किसी पड़ौसी के घर जाकर,
मम्मीजी खुद ही लायें|
गैस है घर में पानी घर में,
एक किलो निर्माण कराने,
में कितना खर्चा होगा,|
सभी निवेदन करने वाले,
ठीक ठीक से बतलायें|
जो यथार्थ में सच्ची हो|
शेख चिल्लियों जैसे बनकर,
व्यर्थ हँसी ना उड़वायें|
</poem>
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