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साया मिरे भी सर पे उसी सायबाँ से था
इस इक साहिरा3 ने मोम से पत्थर किया जिसे
वो क़िस्सा-ए-लतीफ़ मिरी दास्ताँ से था
अबके हमारा सामना उस नुक्तादाँ6 से था
ये मुफ़लिसि मुफ़लिसी की आँच में झुलसी हुई ग़ज़ल
रिश्ता ये किस ग़रीब का उर्दू ज़बाँ से था
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1. धरती 2. न्याय 3. जादूगरनी 4. पुनरावृत्ति 5. छंद मापन विधि 6. श्रेष्ठ
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