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खिल उठा फूल सा बदन उसका / ‘अना’ क़ासमी
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08:42, 2 जुलाई 2014
एक चादर है कुल मताए फ़कीर
वो ही बिस्तर वही क़फ़न उसका
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वीरेन्द्र खरे अकेला
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