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14:32, 2 जुलाई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>दक्षिण पवन बहु नहुँ-नहुँ पहुसँ मिलन हएत कबगहुँ
आँगन मोरा लेखे बिजुवन सूतक सेज विषम सन
फूजल केश निजुआयल गेरुआ मोहि न सोहायल
एहि अवसर पहु के पबितहुँ कर धए कंठ लगबितहुँ
आम मजरि महु तुअल, तैयो नहि पहु घूरल
दीप जरिय, जरिय ओरबाती, नैनक नोर भीजल छाती
</poem>