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गाँव का शिकारा / रमेश रंजक
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14:01, 20 जुलाई 2014
अनजानी भूल की तरह
अँकुराया दूध-जला तारा
लौट चला दिन
हारा-हारा
आँगन की धूल की तरह ।
अनिल जनविजय
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