गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
गीत गुणनफल के / रमेश रंजक
No change in size
,
07:35, 11 अगस्त 2014
रंग उड़े काग़ज़ी कमल के
खेल कर
क्षणीक
क्षणिक
पराग से
उम्र भर जले चिराग-से
भीतरी अदृश्य आग के
और घने हो गए धुँधलके
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits