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08:44, 29 अगस्त 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अरुणाभ सौरभ
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<poem>
इस सफर में
कुछ हिन्दू हैं
कुछ मुसलमान हैं
कुछ किस्से हैं
उनकी कहानियाँ हैं
कई हिस्से हैं
ज़िंदगी के
कई पेड़
कुछ में फूल
कई झाड़-झंखाड़
हरी घास और बंजर ज़मीन है
कई तालाब
कुछ में पानी
कई सपने
कई अरमान
और नसीब अपना-अपना है
</poem>