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यात्रा जो मुंबई के लिए होती है / अरुणाभ सौरभ
Kavita Kosh से
इस सफर में
कुछ हिन्दू हैं
कुछ मुसलमान हैं
कुछ किस्से हैं
उनकी कहानियाँ हैं
कई हिस्से हैं
ज़िंदगी के
कई पेड़
कुछ में फूल
कई झाड़-झंखाड़
हरी घास और बंजर ज़मीन है
कई तालाब
कुछ में पानी
कई सपने
कई अरमान
और नसीब अपना-अपना है