भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यात्रा जो मुंबई के लिए होती है / अरुणाभ सौरभ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इस सफर में
कुछ हिन्दू हैं
कुछ मुसलमान हैं
कुछ किस्से हैं
उनकी कहानियाँ हैं
कई हिस्से हैं
ज़िंदगी के

कई पेड़
कुछ में फूल
कई झाड़-झंखाड़
हरी घास और बंजर ज़मीन है
कई तालाब
कुछ में पानी

कई सपने
कई अरमान
और नसीब अपना-अपना है