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आईना सामने रक्खोगे तो याद आऊँगा / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
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11:22, 18 सितम्बर 2014
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<poem>आईना सामने रक्खोगे तो याद आऊंगा
अपनी ज़ुल्फ़ों को सँवारोगे तो याद आऊंगा
जब किसी फूल पे ग़श२ होती हुई बुलबुल को
सह्ने-गुल्ज़ार में देखोगे तो याद आऊंगा
</poem>
Sharda suman
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