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दमामा बज रहा है / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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08:33, 19 नवम्बर 2014
दमामा बज रहा है, सुनो, आज
बदली के दिन आ गये
आँधी तूफान युग
मंे।
में
होगा आरम्भ कोई नूतन अध्याय,
नही ंतो
नहीं तो
क्यों इतना अपव्यय-
उतरा आता है निष्ठुर अन्याय ?
अन्याय को खींच लाते हैं अन्याय के भूत ही,
Sharda suman
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