गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जब तुम अपनौ मौ खोलत हौ / महेश कटारे सुगम
No change in size
,
09:47, 11 जनवरी 2015
बादर देख पियत पानी के
सुगम पोतलन<ref>ठण्डे पानी का मिटटी का बना बर्तन<
ref
/
ref
> खौं फोरत हौ
{{KKMeaning}
</poem>
{{KKMeaning}
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,225
edits