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<poem>
ज़ुल्म की चक्की में हमको पीसने का शुक्रिया ।
ज़ात-पांतों पाँतों मज़हबों में बांटने बाँटने का शुक्रिया ।।
जिस्म पर चड्डी बची थी वो भी ले ली आपने,
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