1,626 bytes added,
08:59, 19 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
{{KKCatBagheliRachna}}
<poem>
सात बहिनिया है देविया शारदा कोउने का रचौ बिआह हो मां
बड़ी बहिनिया हैं देविया शारदा ओही का रचै बिआह हो मां
कउने दिना कै लगन लिखाये देव कौउने दिना कै बारात हो मां
दुइज परीवा कै लगन लिखायों नौमी केर बरात हो मां
के लख मांगइं डोलहा- बजनिहा के लख संगे बरात हो मां
नौ लख मांगइं डोलिहा- बजनिहा दस लख मांगइं बरात हो मां
आई बरात फरिकावा मेलइ घुमड़इं तबल निशान हो मां
दे माता मोरी छुरिया कटारिया देखि आऊं अपन बरात हो मां
या गांव कै कैसेन रितियां दुलहिन देखइं अपन बरात हो मां
उइं दुलहिनि या जान्या मोही जो दुलहा के संगे जाय हो मां
मड़ये तरी पगरैते मारउं दुलहे के रक्त नहांव हो मां
</poem>