464 bytes added,
12:56, 20 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=बघेली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह=
}}
{{KKCatBagheliRachna}}
<poem>
चलना चलना सब कोउ कहैं हो
अरे चलना हंसी नहि खेल हो
चलन कहै।
अरे चलना वही सराहिये
कि बाबा बोलाई बड़ी दूर से हो
चलन कहें।
</poem>