767 bytes added,
06:27, 30 मार्च 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सूर्यदेव पाठक 'पराग'
|संग्रह=
}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
लोग समय के गुलाम बाटे
केहू कसले लगाम बाटे
अझुराइल बा सभे इहाँ के
ऊपर मन से सलाम बाटे
खाते-पियते इहाँ-उहाँ में
सबके जिनगी तमाम बाटे
भीतर करिया जमा भइल बा
बाहर धप्-धप् त चाम बाटे
रावन मन में बसल तबहुँओ
मुँह से सुमिरत ई राम बाटे
</poem>