Last modified on 30 मार्च 2015, at 13:34

लोग समय के गुलाम बाटे / सूर्यदेव पाठक 'पराग'

लोग समय के गुलाम बाटे
केहू कसले लगाम बाटे

अझुराइल बा सभे इहाँ के
ऊपर मन से सलाम बाटे

खाते-पियते इहाँ-उहाँ में
सबके जिनगी तमाम बाटे

भीतर करिया जमा भइल बा
बाहर धप्-धप् त चाम बाटे

रावन मन में बसल तबहुँओ
मुँह से सुमिरत ई राम बाटे