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17:03, 22 अप्रैल 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=नरेश कुमार विकल
|संग्रह=अरिपन / नरेश कुमार विकल
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<poem>
ने मजा रूसे मे छै ने अमेरिके मे छै
मजा छै ने ई चीन आ जापान मे
जे मजा छै अपन पान आ मखान मे।
भोर सींथक सिंगार सांझ महफा-कहार
स्वर्ग एखनो छै गाछीक मचाने मे
ई मजा छै ने अफरिका-ईरान मे।
कोशी-कमलाक कात खोंटथि करमीक पात
जे मजा छै घोघ तऽर कें मुस्कान मे
ओ मजा छै ने सुरूज आ चान मे।
देखू मंडन आ चन्दा-अयाची
पाग कोकटीक आर धोती साँची
बहुतो विद्यापति बैसल बथान मे।
भोर भैरव मनाएब सांझ शिवकें सजाएब
ओना भक्ति छै सभ भगवान मे
बसल मिथिला छै सीताक परान मे।
</poem>