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16:50, 30 अप्रैल 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
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<poem>
धंवरा है
ठण्ड है
फेर ई
सुधियां ई
भाज्या बगै
घणा लोग
के अमीर के गरीब
अैळो नीं जाण द्यै
जीया-जूण
सूरजी म्हाराज रै
थोड़ै सै उजाळै नै ई।
</poem>