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थोड़ै सै उजाळै नै ई / निशान्त
Kavita Kosh से
धंवरा है
ठण्ड है
फेर ई
सुधियां ई
भाज्या बगै
घणा लोग
के अमीर के गरीब
अैळो नीं जाण द्यै
जीया-जूण
सूरजी म्हाराज रै
थोड़ै सै उजाळै नै ई।