गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सग्गा / निशान्त
2 bytes added
,
17:08, 30 अप्रैल 2015
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बै कैवण मेंसग्गा तो अवस कहिजै
पण जाबक ई नीं समझै
सग्गै
तो संकट !
रौ संकट।
छुछक, भात,
उढावणी
ओढावणी
अर दायजो
लेंवती बेळा
कदै ई
कदेई
नीं सोचै
कै सग्गो
कळीज तो नीं गयो
करज
कर्ज
रै
कादै !
कादै।
</poem>
आशिष पुरोहित
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits