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09:50, 4 मई 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
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<poem>
करो हो रूणेचै तांई
जात्रा
जगावो हो जम्मा
राखो हो थेयी
पण थे ई
रामदेवजी रै दांई कदे
कीं राकस नै
ललकार्यौ है ?
लगाया है
अछूतां नै गळै
करी है
कीं रोगी-दोखी री
सेवा ?
</poem>
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