Changes

बो अर म्हैं / निशान्त

988 bytes added, 09:59, 4 मई 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
जणां-कणां
म्हैं
खुद नै
दुखी मानूं
पण जद बींनै देखूं तो
खुद नै साफ झूठो जाणूं

बो म्हारै सायनौ है/अर म्हारै दोनां रो अेक धंधो

म्हैं घरे रैवूं
‘फैमिली’ में

पण बो है परदेसी
अठै अेकलो रैवै
म्हारै सूं घणों खपै
पण फेर ई
नीं देख्यो बीं ‘नै
कदे उदास

बीं रीं रंगत देखतां
नीं लागै कै
बो रोवतौ हुसी कदे
ओलै-छानै।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits