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10:20, 4 मई 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
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<poem>
‘भण्या-गुण्या
स्याणां हुवै’
ओ बै ’म
बीं बगत बिसरग्यो हो
जद वोटां री ढोलक्यां
जमा करांवती बेळा
अैलकारां नै
धक्का-मुक्की होंवतां
देख्या।
</poem>
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