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मंडसी तो ई / निशान्त

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|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
आज फेरूं मंडया है
बादळ
आगै किस्या मंडया कोनी
ठीक है
बां कोनी करया न्ह्याल
पण बादळ मंडसी
तो ई बरस सी ।
</poem>
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