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10:07, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
पैंट-बुसरट पैर्यां
सै‘र री सड़क माथै चालता
‘रोबोट‘ जिस्या मिनखां बिचाळै
अेक धोती-कुड़तै आळै नै
देख्यां
ठंडी पून रो रूळो सो बै‘ग्यो
सा‘रकर
</poem>
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