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11:12, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
भैणां रा दुःख
भाईयां स्यूं कमती कोनी हा
इयां बी कैय सकां
कै
दोनूंवां रा सुख दुख
हुवै भेळा ई
स्यात जद ई तो
काळ मांय ई
भाई रै घरां हुयड़ै
पोतै रो
ठा लागतां ई
भैणां आय’र
उगीर दिया
धेनड़िया ।
</poem>
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