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भैणां / निशान्त
Kavita Kosh से
भैणां रा दुःख
भाईयां स्यूं कमती कोनी हा
इयां बी कैय सकां
कै
दोनूंवां रा सुख दुख
हुवै भेळा ई
स्यात जद ई तो
काळ मांय ई
भाई रै घरां हुयड़ै
पोतै रो
ठा लागतां ई
भैणां आय’र
उगीर दिया
धेनड़िया ।