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अन्तिम क्षण का गीत / आन्ना अख़्मातवा
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09:52, 22 जुलाई 2015
घबराहट थी कल की
मुझे
लगा-
लगीं
सीढ़ियाँ
हैं
ज़्यादा
पर सीढ़ी थीं केवल तीन
उधर फुसफुसा रहा था पतझड़
मैं चली थी धोखा देने
अपने दुखी, अशांत जीवन को
कहा
-
- तेरे साथ मरूँगी
वारा तुझ पर तन-मन को
अनिल जनविजय
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