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हे ईश्वर ! प्रेम कितना ज़्यादा है / पेटर रोज़ेग्ग
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20:53, 31 जुलाई 2015
सूखे हुए औ’ फटे हुए हैं होंठ
रंग गुलाबी उनका फीका पड़ चुका है
पर
चाहते हैं वे प्रेम का लम्बा चुम्बन
और
पर
मई
का
महीना अब गुज़र चुका है
हे ईश्वर ! प्रेम कितना है ज़्यादा
अनिल जनविजय
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