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{{KKRachna
|रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र |अनुवादक=|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मैंने निचोड़कर दर्द<br>मन को<br>मानो सूखने के ख्याल ख़याल से<br>रस्सी पर डाल दिया है<br><br>
और मन<br>सूख रहा है<br><br>
बचा-खुचा दर्द<br>जब उड़ जायेगा<br>जाएगातब फिर पहन लूँगा मैं उसे<br><br>
माँग जो रहा है मेरा<br>बेवकूफ तन<br>बिना दर्द का मन !<br><br/poem>
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