592 bytes added,
23:45, 27 सितम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>महँगू ने महँगाई में
पैसे फूँके टाई में,
फिर भी मिली न नौकरी
औंधे पड़े चटाई में!
गिट-पिट करके हार गए
टाई ले बाजार गए,
दस रुपये की टाई उनकी
बिकी नहीं दो पाई में।
</poem>