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18:52, 2 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निरंकार देव सेवक
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>अरे-अरे, क्या करती बकरी
घास पराई चरती बकरी!
बकरी! बकरी! उधर न जा,
इधर चली आ, आ आ आ।
वहाँ पकड़ ली जाएगी,
में - में - में चिल्लाएगी।
</poem>