Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीकृष्णचंद्र तिवारी 'राष्ट्रब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=श्रीकृष्णचंद्र तिवारी 'राष्ट्रबंधु'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>मैं ढपोर हूँ शंख बिना,
ताक धिना-धिन, ताक धिना।

मुझे अचानक परी मिली,
आसमान में जुही खिली।
टिली लिली जी टिली लिली
मैं जाऊँगा पंख बिना
ताक धिना धिन, ताक धिना!

अगड़म-बगड़म बंबे बो,
अस्सी, नब्बे, पूरे सौ।
गेहूँ बोया, काटा जौ,
उगा पेड़ कब बीज बिना
ताक धिना-धिन, ताक धिना!
बछड़ा भागा, भागी गौ,
जल्दी जागो फटती पौ!
हो-हो, हो-हो, हो, हो, हो,
चलूँ अकेला संग बिना
ताक धिना-धिन ताक धिना!

-साभार: नंदन, जुलाई, 1997, 18
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits