Changes

गड़बड़झाला / देवेंद्रकुमार

532 bytes removed, 04:03, 4 अक्टूबर 2015
फिर क्या होगा-
गड़बड़-झाला!
 
 
रूप हवा के
 
हवा हुई शैतान!
खिड़की दरवाजे खड़काए,
बेपर कागज खूब उड़ाए,
सारे घर में धूल बिखेरे
अम्माँ है हैरान!
हवा हुई शैतान!
 
हँसते फूलों को दुलराती,
बादल कहाँ-कहाँ ले जाती,
बाँसों से सीटी बजवाए
कैसी इसकी शान!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits