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मेरी अम्माँ / मोक्ष गौड़

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<poem>कितनी अच्छी मेरी अम्माँ,
सीधी-सच्ची मेरी अम्माँ।
बच्चों में मिलकर हो जाती-
बिल्कुल बच्ची मेरी अम्माँ।
मैं जल्दी सो जाऊँ, करती
माथा-पच्ची मेरी अम्माँ।

-साभार: आँख मिचौली, मोक्ष गौड़,8,11
</poem>
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