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00:33, 5 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सत्यदेव आजाद
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|संग्रह=
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<poem>प्यारे चंदा मामा, आओ!
सारे नभ में घूमा करते
हर घर को तुम देखा करते
अगर न आओ, तो हमको ही-
इक दिन अपना घर दिखलाओ
प्यारे चंदा मामा, आओ!
सबकी मम्मी के हो भाई
बस यह बात समझ न आई,
मामा का यह कैसा रिश्ता?
कभी बैठ करके समझाओ।
प्यारे चंदा मामा, आओ!
टिम-टिम करते ढेरों तारे
क्या बच्चे हैं इतने सारे?
ऐसा भी क्या कभी हमें भी
अपने बच्चों से मिलवाओ!
प्यारे चंदा मामा, आओ!
</poem>