भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यारे चंदा मामा / सत्यदेव आजाद

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यारे चंदा मामा, आओ!

सारे नभ में घूमा करते
हर घर को तुम देखा करते
अगर न आओ, तो हमको ही-
इक दिन अपना घर दिखलाओ
प्यारे चंदा मामा, आओ!

सबकी मम्मी के हो भाई
बस यह बात समझ न आई,
मामा का यह कैसा रिश्ता?
कभी बैठ करके समझाओ।
प्यारे चंदा मामा, आओ!

टिम-टिम करते ढेरों तारे
क्या बच्चे हैं इतने सारे?
ऐसा भी क्या कभी हमें भी
अपने बच्चों से मिलवाओ!
प्यारे चंदा मामा, आओ!