641 bytes added,
00:28, 6 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बालकृष्ण गर्ग
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>पेटू लाला,
चाट-मसाला।
छोले आलू,
नरम कचालू।
इडली-डोसे,
गरम समोसे
दही-पकौड़ी,
सोंठ-कचौड़ी!
आलू टिक्की,
गुड़ की चिक्की!
रसगुल्ले हों,
तो हल्ले हों!
लार टपकती,
जीभ लपकती!
बस डट जाते,
चट कर जाते!
</poem>