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'किस बला का जोश जानां तेरे दीवाने में है / कांतिमोहन 'सोज़'
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20:06, 6 अक्टूबर 2015
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'''अकबर इलाहाबादी ने लिखा है
--
'''
'''किस बला का जोश जानां तेरे दीवाने में है ।'''
'''कल ज़मानत पर छुटा था आज फिर थाने में है ।'''
अनिल जनविजय
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