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00:25, 7 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=किसलय बंद्योपाध्याय
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<poem>छिन-छिनाकी बुबला-बू,
मेले से लाया बिट्टू।
ढम-ढम ढोलक, बाजी बीन,
गांधी जी के बंदर तीन!
सुनकर भालू की खड़ताल,
नीलू-पीलू हैं बेहाल।
उनका घर है टिंबकटू,
छिन-छिनाकी बुबला-बू!
-साभार: नंदन, सितंबर, 1987, 20
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