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मैं पिछली रात क्या जाने कहाँ था / 'क़ैसर'-उल जाफ़री
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18:27, 24 अक्टूबर 2015
मुझे दुःख था मगर इतना कहाँ था
सफ़र काटा
हसी
है
इतनी मुश्किलों से
वहां साया न था पानी जहाँ था
वहीँ फेंक आओ आईना जहाँ था
मैं क़त्ल
-
ए
-
आम का शाहिद हूँ 'क़ैसर'
कि बस्ती में मीरा ऊँचा मकाँ था
</poem>
Anupama Pathak
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