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22:06, 28 अक्टूबर 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=
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{{KKCatKavita}}
<Poem>यदि नहीं चाहता हो बदलना
तो इंकलाब के रास्ते पर
तुझे चलना होगा
आने वाली पीढ़ियों की खातिर
लड़ना होगा
होश करो लोगो, होश !
यदि अब भी नहीं आया होश
तो साफ सुन लिजिए-
इस दुनिया में
मेरे भाई तुम्हें
और आने वाली हमारी पीढ़ियों को
बेमौत करना होगा।
'''अनुवाद : नीरज दइया'''
</Poem>