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|रचनाकार=सत्य मोहन वर्मा
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<poem>यार कमाल हुए, गाल गुलाल हुए,
दहके टेसू वन, आँगन लाल हुए,
बिखरे कुंतल मेघ, जी के काल हुए,
फागुन लूट गया, हम कंगाल हुए,
नखत देह दमके, नैन निहाल हुए,
परिचय मौन रहे, व्यर्थ सवाल हुए,
रस की स्पर्धा में मौर रसाल हुए..
</poem>
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