1,255 bytes added,
23:06, 8 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=उर्मिला माधव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem> मेरे दिल की किताब रहने दे,
चुप ही रह हर जवाब रहने दे,
चैन मिलना कोई ज़रूरी है ?
ऐसा कर ,इज़्तराब रहने दे,
आँख रोती हैं जा इन्हें ले जा,
मेरे नज़दीक ख्वाब रहने दे,
एक चिलमन बहुत है परदे को
आने-जाने को बाब रहने दे,
तुझको शम्स-ओ-क़मर से तौला था,
अपनी इज़्ज़त की ताब रहने दे,
तू है मजबूर अपनी आदत से
छोड़ बाक़ी हिसाब रहने दे,
ख़ार ख़ुशबू से ख़ूब बेहतर हैं,
ले जा अपने गुलाब रहने दे
तेरी खुशियां तुझे मुबारक हों,
मुझको ख़ाना ख़राब रहने दे!</poem>