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05:02, 11 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatBaalKavita}}
<poem>जब गुड़िया कापी में लिखती ,
क, ख, ग, घ, च, छ ,ज |
हंसकर सबको बतलाती है ,
हिन्दी भाषा का रुतवा |
मजबूरी में जब अंग्रेजी ,
में ए. बी .सी .डी लिखती |
हारी हारी थकी थकी सी ,
सूखे पत्ते सी दिखती |
गुस्से में कहती है मुझको ,
हिन्दुस्तानी पढ़ना है |
अंग्रेजी भाषा से मुझको ,
अभी नहीं माँ जुड़ना है |</poem>