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कमाल की औरतें ८ / शैलजा पाठक

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|रचनाकार=शैलजा पाठक
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|संग्रह=मैं एक देह हूँ, फिर देहरी / शैलजा पाठक
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<poem>उसकी आंखों की गुलाबी चादर पर खुली किताब सी मैं
दूर शहर पर बिछोह की पटरियां बिछी होती
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