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|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
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<poem>खुद से आज बगावत है.
क्यों बदली हर आदत है.

तू जैसा था वैसा रह,
बाकी तेरी किस्मत है.

मन से सहमत हो न सका,
फिर तन से क्यों सहमत है.

तिल-तिल कर मरता है क्यों,
जब जीने की चाहत है.

दिल की खुशियों से बढ़कर,
क्या कोई भी दौलत है.

खुद को मत कमजोर समझ,
तू ही तेरी ताकत है.
</poem>
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