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16:59, 24 दिसम्बर 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>खुद से आज बगावत है.
क्यों बदली हर आदत है.
तू जैसा था वैसा रह,
बाकी तेरी किस्मत है.
मन से सहमत हो न सका,
फिर तन से क्यों सहमत है.
तिल-तिल कर मरता है क्यों,
जब जीने की चाहत है.
दिल की खुशियों से बढ़कर,
क्या कोई भी दौलत है.
खुद को मत कमजोर समझ,
तू ही तेरी ताकत है.
</poem>